जब एक रानी ने इतिहास को पलट दिया – दिल से जुड़ी एक नई शुरुआत, और खुद में एक नई रोशनी भर दी – झाँसी की रानी पर कविता
जब भी झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम लिया जाता है, दिल अपने आप गर्व से भर उठता है। उनकी वीरता आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आइये, इस कविता के माध्यम से उनकी शौर्य गाथा को महसूस करें।”
कुछ कहानियाँ सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि हमारे दिलों में भी गहराई से बसी रहती हैं। रानी लक्ष्मीबाई की कहानी भी कुछ ऐसी ही है — साहस, आत्मसम्मान और बलिदान की एक जीवित मिसाल।
जब भी मैं “खूब लड़ी मर्दानी” सुनता हूँ, दिल में एक गहरी सिहरन महसूस होती है। इस नाज़ुक सी लड़की ने तलवार उठाई और पूरी अंग्रेज़ी सेना के सामने हिम्मत से खड़ी हो गई। सोचिए, उस रानी में कितनी ताकत और हिम्मत रही होगी!
आज, हम उसी अद्भुत जज़्बे को फिर से महसूस करेंगे, “झाँसी की रानी कविता हिंदी में” के ज़रिए। चलिए, हम सब मिलकर उस वीरता को सादर नमन करें। ❤️
झांसी की रानी कविता कक्षा 6
Jab main chhote tha, aur kahanion mein pehli baar rani lakshmibai ki kahani suni thi, toh ek ajeeb si energy feel hoti thi
खासकर कक्षा 6 के बच्चों के लिए ये कविता न केवल पढ़ाई का हिस्सा है, बल्कि एक प्रेरणा भी बन जाती है।
कक्षा 6 के लिए आसान शब्दों में कविता का सार
बचपन से थी वीर भवानी
सबसे प्यारी झांसी की रानी।
घुड़सवारी, तलवार चलाना,
सीखा उसने लड़ना सिखाना।
अंग्रेजों से नहीं डरी थी,
झांसी के लिए खूब लड़ी थी।
छोटा सा बेटा गोद उठाया
रणभूमि में शेरनी बन छाया।
“मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी
सबके दिलों में आग लगा दी।
वीरता की मिसाल बन गई,
भारत माँ की शान बन गई।
आज भी गाते हैं हम कहानी
वीर झांसी वाली रानी।
नमन करें हम उनको प्यारे
जिनसे सीखा जीने के सहारे।
खूब लड़ी मर्दानी कविता हिंदी में
उसने वीरता और साहस से लड़ाई लड़ी, वह झांसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध थी .. In lines mein sirf ek kavita nahi, ek virasat, ek jeet aur ek commitment chhupi hai
सिंहासन कांप उठे, राजघरानों ने भृकुटी तानी थी
बूढ़े भारत में फिर से नयी उमंग जागी थी
खोई हुई आज़ादी की अहमियत सब ने समझी थी
और विदेशी ताकतों को हराने का सब ने दृढ़ निश्चय किया था।
सन सत्तावन में चमक उठी, वह पुरानी तलवार थी
बुंदेलों की गाथा हर किसी की जुबां पर थी
अद्वितीय वीरता का प्रतीक, वह तो झाँसी की रानी थी।
कानपूर के नाना के संग, बचपन बीता रानी का,
सुभट वीर शिवराजी का प्यारा रूप था रानी का,
प्यारी मणिकर्णिका थी वह, पर नाम हुआ झाँसी का,
रणचंडी की मूर्ति बनी थी, नारी हृदय विरानी का।
सच्ची स्वदेश-भक्ति थी, रग-रग में बहती नानी थी,
बेहद साहस दिखाया, वह तो झाँसी की रानी थी।
झांसी की रानी कविता सुभद्राकुमारी चौहान PDF
Yeh kavita ek aisi virasat hai jo humare liye hamesha prerna ka strot ban kar rakhne chahiye तो सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा लिखी गई “झांसी की रानी” कविता का PDF डाउनलोड करना एक शानदार तरीका है।
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झाँसी की धरती बोल उठी, रणभेरी फिर से तानी थी,
वीरता की मिसाल बनी थी, लक्ष्मीबाई बलिदानी थी।
नन्हें बचपन में ही उसने, तलवारों से दोस्ती की थी,
हिम्मत की ऊँची उड़ान भरी, सपनों में आज़ादी लिखी थी।
जब फिरंगी ने चाल चली, सिंहासन छीनने आया था,
रानी ने रणचंडी बनकर, संग्राम का बिगुल बजाया था।
कंधे पर नन्हा पुत्र था, हाथों में तलवार चमकती थी,
शत्रु दलों को चीर के आगे, उसकी हुंकार गरजती थी।
“मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी”,
रानी ने कसम उठाई थी।
धधक उठा रण का हर कोना,
जब रानी घोड़े पर छाई थी।
झांसी की रानी कविता सुभद्राकुमारी चौहान व्याख्या
Jab hum is kavita ko dhyan se padte hain, toh ye sirf ek veerta ki kahani nahi, balki ek maa aur ek patni ki bhi kahani hai, jo apne desh aur apne parivaar ke liye apni jaan vaar deti hai
ये एक माँ, एक पत्नी, और एक सच्ची देशभक्त का चित्रण भी है।
झाँसी की रानी कविता की व्याख्या
सुभद्राकुमारी चौहान की यह कविता रानी लक्ष्मीबाई के अद्वितीय साहस और वीरता की प्रतीक है। यह कविता रानी के संघर्षों, शौर्य और मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण को प्रदर्शित करती है। कवियित्री ने रानी के बहादुरी को सशक्त रूप से चित्रित किया है और उनकी वीरता को पूरे भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया है।
कविता का विश्लेषण
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी
इस पंक्ति में कवि ने उस समय के वातावरण को व्यक्त किया है जब रानी लक्ष्मीबाई की वीरता ने अंग्रेजों और अन्य शासकों को चौंका दिया था। रानी की युद्ध नीति ने सभी को प्रभावित किया और एक नई क्रांति का आगाज़ किया।बूढ़े भारत में फिर से एक नई ऊर्जा की लहर आई थी।
यहाँ पर कवि यह व्यक्त करते हैं कि रानी के साहस ने एक नई ऊर्जा का संचार किया। भारत में जो निराशा और हताशा का माहौल था, रानी के संघर्ष ने उसमें नई जान डाल दी और स्वतंत्रता की उम्मीद को जगाया।खोई हुई आज़ादी की असली क़ीमत सभी ने समझी थी।
रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष ने सभी को यह एहसास दिलाया कि स्वतंत्रता की कीमत क्या होती है। जब तक हमें अपनी स्वतंत्रता की सच्ची क़ीमत का पता नहीं चलता, तब तक हम उसकी अहमियत को नहीं समझ सकते।ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी
यह पंक्ति रानी की वीरता और संघर्ष को परिभाषित करती है। रानी ने न केवल युद्ध में भाग लिया, बल्कि अपने राज्य की रक्षा के लिए अपनी जान भी न्योछावर कर दी। उनका साहस और बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा।
FAQs: झांसी की रानी कविता से जुड़े सवाल
Q1. झांसी की रानी कविता किसने लिखी है?
Ans: सुभद्राकुमारी चौहान ने “झांसी की रानी” कविता लिखी थी।
Q2. ‘खूब लड़ी मर्दानी’ किस कविता का हिस्सा है?
Ans: यह पंक्ति सुभद्राकुमारी चौहान की “झांसी की रानी” कविता से है।
Q3. झांसी की रानी का असली नाम क्या था?
Ans: रानी लक्ष्मीबाई का असली नाम मणिकर्णिका था।
Q4. कविता क्यों पढ़नी चाहिए?
Ans: ताकि हम अपने इतिहास, वीरता और संस्कारों से जुड़े रहें।
निष्कर्ष: वीरता दिल में बसानी है सिर्फ याद नहीं करनी
रानी लक्ष्मीबाई सिर्फ एक इतिहास की रानी नहीं थीं। वो आज भी हर उस दिल में जिंदा हैं जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है, जो अपने हक के लिए लड़ता है।
आज जब हम उनकी कविता पढ़ते हैं, तो सिर्फ शब्द नहीं दोहराते — हम एक वादा करते हैं
हम भी डटेंगे, लड़ेंगे, और हार नहीं मानेंगे।
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Aaj se, hum apne andar ki rani lakshmibai ko jagayein aur apne sapno ko sach karne ki ladai shuru karein. Apni kathinaiyon se kabhi bhi piche mat hatna आपने जिस तरह से रानी लक्ष्मीबाई की कहानी और उनकी वीरता को प्रस्तुत किया है, वह सचमुच प्रेरणादायक है। आपकी लेखनी में जो आत्मविश्वास और प्रेरणा की भावना है